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आई आई टी (IIT) कानपुर ने अनुसंधान कौशल विकसित करने पर 3 दिवसीय कार्यशाला का आयोजित किया
- कार्यशाला का संचालन प्रसिद्ध शिक्षाविद और वैज्ञानिक प्रो. एन सुंदरराजन ने किया
- बहुमुखी कौशल विधा, गहन सोच की आदत, लेटरल विचारधारा और प्रश्न करने वाला मन विकसित करने की आवश्यकता है
- अनुसंधान में नैतिक व्यवहार के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है
कानपुर
आईआईटी कानपुर के एकेडमिक्स एंड करियर काउंसिल ने प्रोफेसर एन सुंदरराजन (सेवानिवृत्त), स्कूल ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग, नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी सिंगापुर के मार्गदर्शन में "अपने शोध कौशल में सुधार कैसे करें" विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में छात्रों को अनुसंधान की बारीकियों से परिचित कराया गया और बताया गया कि सराहनीय शोध करने के लिए, कई शोध कौशल विकसित करने और उन्हें एक साथ उपयोग करने की आवश्यकता है। गहरी सोच की आदत और प्रश्न करने वाला मन विकसित करना होगा और साथ-साथ लेटरल सोच भी विकसित करनी होगी।
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कार्यक्रम में अत्यधिक संवादात्मक और सूचनात्मक सत्रों के माध्यम से, स्नातक छात्रों को अपनी शोध यात्रा शुरू करने से पहले अनुसंधान में नैतिक प्रथाओं के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता के बारे में भी बताया गया। प्रो. एन सुंदरराजन इसरो के प्रमुख वैज्ञानिकों में से एक थे और उन्होंने 1991 में अकादमिक करियर में जाने से पहले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ मिलकर काम किया था। कार्यशाला का उद्घाटन आईआईटी कानपुर के अकादमिक मामलों के डीन प्रोफेसर शलभ ने किया था।
आईआईटी कानपुर के बारे में:
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर, भारत सरकार द्वारा स्थापित प्रमुख संस्थानों में से एक है। 1959 में पंजीकृत, संस्थान को 1962-72 की अवधि के दौरान अपने शैक्षणिक कार्यक्रमों और प्रयोगशालाओं की स्थापना में यू.एस.ए. के नौ प्रमुख संस्थानों द्वारा सहायता प्रदान की गई थी। पथ-प्रदर्शक नवाचारों और अत्याधुनिक अनुसंधान के अपने रिकॉर्ड के साथ, संस्थान को दुनिया भर में इंजीनियरिंग, विज्ञान और कई अंतःविषय क्षेत्रों में एक प्रतिष्ठित अध्ययन केंद्र के रूप में जाना जाता है। एनआईआरएफ द्वारा संस्थान को लगातार शीर्ष इंजीनियरिंग कॉलेजों में स्थान दिया गया है। औपचारिक स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अलावा, संस्थान उद्योग और सरकार दोनों के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास में सक्रिय रहा है।
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